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शराफत की दुनिया

मुझे ख्वाब की जरूरत है

कच्ची मिट्टी

शराब उतनी भी बुरी चीज नही है

ABANDONMENT OF SOPHISTRY SOCIETY

मोहब्बत से मर जाए

फलक से उतारे गए

इश्क दी लाग

मुझको भी खबर है

गुलिस्तां महरूम है

किताब दिया जाए

प्यार दुबारा तिबारा किया था

फिर से कुछ अपनी सुनाऊं मैं

पैरहन की खुशबू

जंजीर दे देना

निशाने खत्म हो चुके है

इस मुसाफिर को फिर कहां पाओगी।।

तुम मेरे लिए क्या हो

अपनी भी सुनाऊं मैं

मोहन के मोह पे मोहाए गई राधिका

सीने में दबाए बैठा हूं

जिस्म से जान निकल जाए

रोशनी करने को

शराफत नही आती

रोशनाई किया करो

मोहब्बत होने से रही

हिचकी की खुराफात

मेरी अंजुरी

संगेमरमर हो गए

कांच सा जमीं पर बिखर जाऊँ मैं

जिंदगी धुँआ निकली

रोशनाई मत करना

गुमनाम हो जाऊंगा

तू समझता है कि मुझे कुछ खबर नही

इल्ज़ाम रहेगा

रूबरू कर बैठा हूँ

अनजान हो गए

बस्तियों के हुजूम में न कोई घर मिला

गुनाह ए अज़ीम मिरे नाम पे सब लगा दीजिये

एक जोगी का जोग भुलाया है तुमने

धुआं हो जाये

घर जाने को जी चाहता है

बारिस बनके आयी है

हर बार जला हूँ

आँखों मे नींद कहाँ आएगी

तारो जैसी आंखे

मोहब्बत करके हार चुका है

उनकी याद आयी है

बादल बेमौसम बरस गया

तेरे जाने के बाद