गुमनाम हो जाऊंगा

कतरा कतरा टूट कर गुमनाम हो जाऊंगा
मैं  तोहमतों  से भरा  इल्जाम हो जाऊंगा

दिन के सारे उजाले उसके सजदे में देकर
मैं तो बस ढलती हुई एक शाम हो जाऊंगा

यूँ  नाराज़ हो कर नज़रें ना फिराना शाकी
वरना मैं मैखाना समेत बेजाम हो जाऊंगा

उनसे बिछड़ने का गम इस कदर है इलाही
लगता है अब जीने में नाकाम हो जाऊंगा

वो किसी दिन लिहाफ सा ओढ़ ले मुझको 
मैं बाजार ए लिबास में एहराम हो जाऊंगा

वो  बस आकर पूछ  लें सूरत ए हाल मेरा
एक  बीमार  से  मैं  हक्काम  हो  जाऊंगा

बाजार ए इश्क़  में आप पूछें जो दाम मेरा
मैं  यहाँ  सबसे  महंगी सामान हो जाऊंगा

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