शराफत की दुनिया
मासूमियत के सारे पन्ने जला कर आया हूं
शराफत की ये दुनियां ठुकरा कर आया हूं
जल जाती है जिसके पास जाने से दुनिया
मैं उसी सूरज से आंखे मिला कर आया हूं
रिन्दो को कतरा कतरा पिला कर आया हूं
मै शहर के सारे मौखाने लूटा कर आया हू
तू तो मुझे बस बैठने की जगह दे दे इलाही
मैं बाजार से सारी बोतलें उठा कर लाया हूं
मजम्मत ए शराब की फिकर न कर शाकी
मै हर किसी को नशे में डुबा कर आया हू
दुश्मने अम्ल जान का खौफ न दिखा मुझे
मैं खुद ही अपनी चिता जला कर आया हूं
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