तेरे जाने के बाद

तेरे जाने के बाद  कोई और ख्वाहिश नही रही,
बरसात तो है पर पहले सी वो बारिस नही रही।

यूँ  तो  कहने  को  मैं  मरा नही हूँ अभी तलक,
पर जिंदा रहने की अब कोई गुंजाइश नही रही।

माना कि तूने मैकदो के दरवाजे खोले है साकी
पर अब जाम पीने की कोई फरमाइश नही रही।

दिल तो आज भी धड़कता है तेरा नाम सुनके,
पर गुफ्तगू में अब आवाज ए लर्ज़िश नही रही।

मेरी नाराजगी के फ़िकरमन्दों तुम बेफिक्र हो जाओ,
अब जिंदगी के सिवा मेरी किसी से रंजिश नही रही

यूँ तो आज भी तुझसा खूबसूरत दूसरा नही,
पर तेरी मौजूदगी में अब वो ताबिश नही रही।

तेरे ये सारे के सारे बहाने मै खूब समझता हूँ,
ये मत समझ मुझमे पहले सी काविश नही रही।

वैसे तुम तो कहते हो कि मिलने की आरजू है,
पर वादे में अब वो पहली सी कोसिस नही रही। 

बृजेश यदुवंशी


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