मोहब्बत करके हार चुका है
खुमार ए इश्क़ अपने दिल से कब का उतार चुका है
अब तो क़ैस भी मोहब्बत कर कर के हार चुका है
चाँद तारे हवाएं खुशबू बहारें बरखा बादल चांदनी
बेचारा सारी ख्वाहिशे अपने दिल से निकाल चुका है
सब ए हिज़्र में सारी रात उन्ही का इंतज़ार करना
ऐसी गलतियों से अब बावरा खुद को सुधार चुका है।
वो चुपके चुपके नज़र मिलाना वो देखके मुस्कुराना,
ऐसी सारी की सारी उम्मीदें ये दिल नकार चुका है।
उनके किस्से उनकी बातें और उनकी सारी यादें,
दिल ये सब कब का हवा मे कही उछाल चुका है।
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