हिचकी की खुराफात
लब खामोश हैं तो क्या इशारों से भी बात हो सकती है
तुम्हे आने वाली हिचकी मेरी खुराफात भी हो सकती है
जरूरी नही की हर बार दोष बादलों पर ही थोपा जाय
कभी कभी तो मेरी आंखो से भी बरसात हो सकती है
जब मुझसे मिलने आना तो बखत निकाल कर आना
तुमको देखते देखते मुझे शायद रात भी हो सकती है
ये जरूरी है क्या की जो मिलो तो दिल दुखा के मिलो
कभी लबों पे लबों की हसीं करामात भी हो सकती है
किसी दिन तुम मेरी किताब में कोई फूल रख देना
मोहब्बत की जानेमन ऐसे भी तो शुरुआत हो सकती है
जो गैरो पे हुई है तो हमपे भी ये सौगात हो सकती है
एक बार ही सही पर तुमसे मुलाकात हो सकती है
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