गुनाह ए अज़ीम मिरे नाम पे सब लगा दीजिये

गुनाह ए अज़ीम मिरे नाम पे सब लगा दीजिये
मेरी बदनामी के पर्चे शहर भर में उड़ा दीजिये

जरा मध्धम होकर जल रहा है आशियाना मेरा
आप इसकी  आग को थोड़ी और हवा दीजिये

ये चराग अब जल जल के थक गया है  बावरें
इसे  बस  एक  फूंक  मार  कर  बुझा  दीजिये

सुकूँ ए उल्फत  पाने  के  हम  नही हैं काबिल
इस अफसुर्दगी की हमको  यही सजा दीजिये

आपकी दौरे महफिल का चस्का न बिगड़ जाए
इन दीवारो  दरख़्त से मिरा नाम हटा  दीजिए

कही किसी खुशबू से महक न उठे आंगन मेरा
इस बागवां में खिले फूल को अब जला दीजिये

ताकि साल के बाकी महीने दुरुस्त रहे इलाही
फरवरी में जागे हुए सारे अरमाँ  सुला दीजिये

सुना है की डरा सहमा सा रहता है वज़ीर मेरा
अब  एक  प्यादा  उसके  साथ  खड़ा कीजिये




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