रोशनी करने को
तुम एक रात मुझसे मिलने की कोसिस तो करो
मैं चाँद भी जमीं पर बुला लूंगा रोशनी करने को
यूँ बाजार में मत आया करो तुम बाल खोले हुए
ये रोशमी दुपट्टे तरश जाते है तेरी ओढ़नी बनने को
जो तुम आ जाते हो संवरकर इस चांदनी रात में
हजारों चांद दुआ मांगते है तुम्हारी चांदनी बनने को
जब अल्फाज बन कर तुम आती हो मेरी जुबां पे
लाखो गजलें कुर्बान हो जाती है तेरी रागिनी बनने को
आसमां से उतार के तारे तेरे कदमों में बिछा दूं
जो तू एक बार हां करे मेरी जीवन संगिनी बनने को
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