निशाने खत्म हो चुके है
हुनरबाजी कारीगरी के ठिकाने खत्म हो चुके है
इतने तीर मारे की अब निशाने खत्म हो चुके है
जिसने कभी ये सारा शहर बसाया था इलाही
आज यहां उसी के आशियाने खत्म हो चुके है
बिना वजह भी मिलने की आदत डाल लो
अब मुलाकात के बहाने खत्म हो चुके है
अब जितना चाहे उतने दिलों से तू खेल बावरे
तेरे शहर में बेवफाई पे जुर्माने खत्म हो चुके है
गुलजार था जिससे बियाबान का हर दरख़्त
तुम्हारे मेरे अब वो अफसाने खत्म हो चुके है
तेरे इबादत की नई जगह ये कौमी किले है खुदा
मेरे मुल्क में मस्जिद और शिवाले खत्म हो चुके है
तालाबों में जिसके संग छलांग लगाया करते थे
सिक्के की खनक में वो याराने खत्म हो चुके है
साकी,मैखानो से कह दे अपनी नजरे झुका लें
अब उनकी मैकशी के दीवाने खत्म हो चुके है
जो कहा है वो जरा करके भी दिखाओ मियां
ये जुमलेबाजी के अब जमाने खत्म हो चुके हैं
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