धुआं हो जाये
जो दिल मे ना हो वो भी आँखों से बयां हो जाये
मुमकिन है कि आग ना लगे और धुआं हो जाये
अपने मिले जख्मो की शिकायत न करना बावरें
मुमकिन है कि ये दर्द बढ़ते बढ़ते दवा हो जाये
कुछ भी कहना सुनना अब भले ही ना हो उनसे
फिर भी दिल कहता है उनके सजदे में दुआ हो जाये
हैं जीने के जो अरमाँ सारे के सारे हवा हो जाये
बेहिजाबाना उन्हें देख कितनो की क़ज़ा हो जाए
मेरी बस इतनी सी आरज़ू है तुझसे मेरे खुदा
वो छूये और मेरा जिस्म हर्फ़ ए शफ़ा हो जाये
उनके चेहरे के कशिश का क्या ही बताए जनाब
इरादा ना हो फिर भी उनपे जान फ़ना हो जाये
आज के तू तू मैं मैं कल को हम नवां हो जाये
क्या पता कल कौन किसका रहनुमा हो जाये
सिर्फ चिंगारी लगाने का क्या फायदा, तुम मुझे
ऐसे जलाओ की मेरा नाम हर्फ़ ए वफ़ा हो जाये
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