कच्ची मिट्टी

कच्ची मिट्टी की बसर होने से रहा
मेरा  तेरे  घर में गुजर होने से रहा

सीने में गिला, होंठो पे मुस्कुराहट
अब मुझमें तो ये हुनर होने से रहा

तू चाहे जितनी ताकत आजमा ले
तेरी हुकूमत का तो डर होने से रहा

दुश्मने अम्न तेरी शमशीर टूट गई है
तू अब  वजीर ए शहर होने से रहा

बस तेरी दीद की खातिर आया हूं 
मै कहीं और तो नजर होने से रहा

मेरे हुजरे की तामीर कहीं और करा
तेरे शहर में तो मेरा घर होने से रहा 



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