हर बार जला हूँ
हर रास्ते पर चला हूँ यहाँ मैं हर मंजिल पर मुड़ा हूँ
ये जिंदगी मैं तो तेरी आग से हर बार जला हूँ
हार जाने भर से मुझको बुजदिल ना समझ बावरें
ये टूटी तलवार बताती है,जंग में मैं कितना लड़ा हूँ
गम ए उल्फत से यहाँ का हर एक शख्स तारी है
खुदा तेरा शुक्रिया सिर्फ मैं इस बीमारी से बचा हूँ
या खुदा यहाँ तो सभी गुनाहगार है इश्क़ करने के
फिर इसके इल्जाम में मैं ही सूली पे क्यो चढ़ा हूँ
यूँ मुझको समेटने की कोसिस भी न करना बावरें
मैं तो पुरानी हवेली की तरह कई हिस्सो में बंटा हूँ
तेरे सलामती की दुआ मांगी थी एक दिन खुदा से
बस उसी खातिर मैं इस जंग ए मैदान से हटा हूँ
एक हवा का झोंका भी हिला सकता है मेरी नींव
मेरी जिंदगी मै तुझसे अब इस कदर खफा हूँ
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