रूबरू कर बैठा हूँ
नज़र मिलते ही तुमसे सरफरू कर बैठा हूँ
तवाक ए गम से खुद को रूबरू कर बैठा हूँ
जो ख्वाब देखता था तुम्हारे साथ वस्ल की
मैं उस खुदा से आज तेरी आरजू कर बैठा हूँ
तू हर्फ़ ए हाल ना भी बोल तो कोई गम नही
मैं तेरी नरगिसी आंखो से गुफ़्तगू कर बैठा हूँ
तुझसे मुलाकात की बेशब्री ना पूछ इलाही
तेरे आने की खबर सुनते ही वजू कर बैठा हूँ
तेरी दीद का खयाल कुछ इस कदर है बावरें
तेरी यादों से सौदा-ए-जुस्तजू कर बैठा हूँ
था जिसको दबा कर रखना अपने दिलो में
मैं वो बात भी एलान ए चहार सू कर बैठा
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