मुझे ख्वाब की जरूरत है

मुझे ख्वाब देखने है तेरे, मुझे रातों की जरूरत है
सुकून ए उन्स के लिए, कुछ शामों की जरूरत है

अब तुम्हारे बस की नही रही है इनको सुलझाना
इन उलझी लटों को अब मेरे हाथो की जरूरत है

अपनी आंखो में एक बार जी भर के देखने तो दे
बर्बाद होने के लिए मुझे इन किताबों की जरूरत है

अपनी नजरों का जाम बस ऐसे ही पिलाती रहना
दिलकशी के लिए मुझे इन्ही पैमानों की जरूरत है

सांसे मद्धम,धड़कने शाइस्ता,और दिल परेशान
कोई उसे बताये हमे कुछ मुलाकातों की जरूरत है

तमन्ना ए दीदार बस एक दफा पूरी हो  इलाही
मुझको तो बस इतनी ही सांसों की जरूरत है











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