अनजान हो गए

जिंदगी तेरी गली से आज हम अंजान हो गए
ये बाग बगीचे सारे के सारे अब वीरान हो गए

एक एक ईंट जोड़के  जिस घर को बनाया था
आज उसी मे हम पल भर के मेहमान  हो गए

जिस रास्तों पे अक्सर रौनक बिखरी रहती थी
वो न जाने किसकी तलाश में सुनसान हो गए

महफ़िलो  को  सजाते सजाते गुमनाम हो गए
हमने इतनी शोहरत कमाई की बदनाम हो गए

हर्फ़ ए सताइश के सारे लफ्ज़ कुरान हो गए
उसको  इतना  चाहा  कि वो भगवान हो गए

ये सुबह तेरी  तलाश में  हम इतना भटके है 
घर  लौटते  लौटते एक  ढलती शाम हो गए

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