सीने में दबाए बैठा हूं

कितने राज कितने अफसाने दबाए बैठा हूं
मैं एक समुंदर अपने सीने में समाए बैठा हूं

जिनके आने भर से पूरा शहर खौफजदा है
मैं ऐसे कातिलों को अपने गले लगाए बैठा हूं

ये साजिश तो दुश्मनो को करनी चाहिए थी
और मैं दोस्तो से अपना घर जलाए बैठा हूं

बा मुश्किल, बारिश ने  बचाया है जलने से
मैं फिर से घर में कोई आग सुलगाए बैठा हूं

मुझसे शराफत की कसमें मत खा इलाही
मैं तुम्हारे  सारे  किस्से  सुने सुनाए बैठा हूं

तुझे प्यास तो बस एक बूंद की थी साकी
और मैं तुझपे सारा मौखाना लुटाए बैठा हूं

किस कदर शिकवा ए लब मजबूर है बावरें
शिकायत तो है तुमसे,पर मैं मुस्कुराये बैठा हूं

घर तो अपना हम कबका फूंक चुके साहब
अब तो बाजार में  बस राख उठाए बैठा हूं

दगा,फरेब है उसकी फिदरत जानते हुए भी
मैं उसके साथ अपने ख्वाब सजाए बैठा हूं

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