बस्तियों के हुजूम में न कोई घर मिला

इन बस्तियों के हुजूम में न कोई घर मिला
न रास्ते मिले और ना ही कोई शहर मिला

गुमान था जिसके सहारे का हमे अब तक
उस कंधे पे अब किसी और का सर मिला

जो मुड़ जाता था दुश्मनो के घर  की ओर
मेरा अपना भी हमको उसी मोड़ पर मिला

इस आग ने कुछ यूँ जलाया है हौसलो को
बस्तियां बनाने वाला खुदा भी बेघर मिला

दौर ए तोहमत तो  कुछ ऐसा चला इलाही
मेरा हर अपना इसकी पहली सफ पर मिला

थी ख्वाहिश जिनसे शीशमहल बनवाने की
अब उन्ही कारीगरों के हाथ मे पत्थर मिला

तुम्हारे साथ उनके हाथ मे भी खंजर मिला
चलो आपको कोई तो हमसे बेहतर मिला

नज़र मिला कर मेरी नज़र में उतरने वाले
अब मेरी नज़र में देखके मुझसे नज़र मिला

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