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मेरे कान्हा जी

आओ मोहब्बत की शुरुआत किया जाए

वहीं मिलना

बहना

वो आज भी है याद मुझे

उसकी तस्वीर

तेरा साथ ना हो फिर भी मुझको चलना आता है

नाशाद

ये किस गली में रुके है कदम

सुकून

तेरा कंगना

कर्ण व्यथा

बात कोई भी हो

दावेदारी

शराबी है हम

वो बुद्धू

दिल्ली की दीवाली ये दिलवालों की दीवाली

खुदा की कुर्बत

इश्क बाकी है

मोहब्बत अब नही करना

समुन्दर ले आओ

हिमाकत कौन करेगा

एक रागिनी

रेपरिज्म

रिप्रिजम है ये

हुनरमंद

कलम और तलवार है तू

उसके आने की जब बात चले

मेरा पैमाना

कैसी ये प्यास है

जगाने आया हूँ

जो आज मेरे नाम है

काश ये हो जाता

गर्म लहू के छीटे

फूलों के मौसम

चिरागों की तरह

हिम्मत मेरी

हारे हुए सिकंदर

जुल्फो की छांव

अच्छा नही लगता

चाँद को पाने की जुर्रत नही है

वो भुलाने लगे

मोहब्बत की दौलत

लड़ना होगा

बहरों को सुनाना है तो जरा जोर से बोलना सीखो

सौदागरी

गम के जमींदार

मंजिल पर नज़र

मुसाफिर

उसकी नामंजूरी

माँ