नाशाद

जिनको सिर्फ  गम था मिला, वो आज आबाद हो गए
और हम जमाने की खुशियां पाकर भी नाशाद हो गए

किसको बताये और किसको सुनाए हम अपनी दास्तां
कौन यकीन करेगा हम जाहीदो के साथ बर्बाद हो गए

जिन लोगो ने तमाम उम्र  खुदा  की नाफरमानी किया
वो कबूली हुई दुआ और हम ठुकराई फरियाद हो गए

उनसे दो लफ्जो की गुफ्तगू जमाने की खुशियां दे गई
जमाने बाद जो वो मिले तो  सहरा  भी नौशाद हो गए

वो हमसे मिलने का वादा करके कुछ ऐसे बिछड़े की 
हम गलियों के बंजारे और वो ख्वाबो के चाँद हो गए

ये  बात  सच है कि वो हमारे  बिना भी  बहुत खुश है
पर हम  उनको  खुद से  गवाँ कर  अब बर्बाद हो गए





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