गर्म लहू के छीटे

उनके गर्म लहू के छीटों से चप्पा चप्पा  तमाम बना है
उनकी शहादत की नींव पे ही आज ये मकान बना है

क्या मिशाल दे हम भगत सिंह,आज़ाद के कुर्बानी की
खुद को लुटाया है इसके लिए तब ये हिन्दुतान बना है

जलियांवाले  शहीदों  काकोरी के वीरो का तोहफा है
जो कोई विक्रम बत्रा, तो कोई अब्दुल कलाम बना है

माँ के लाडले ,बहन के वीर न्यौछावर हुए इस मिट्टी में
अब भी मातृभूमि पर कुर्बान होने  हर जवान खड़ा है

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