सौदागरी

अच्छी कीमत की लालच ने, हमारी सौदागरी छीन ली
गुरूर ने इन हांथो से सारी की सारी कारीगरी छीन ली

दौलत की चमक ने, मुझसे मेरी सारी शायरी छीन ली
सिक्को की खनक ने फनकारों से सुखनवरी छीन ली

बुतो में जान फूंकने का हुनर हमको भी खूब आता था
पर हुनर की सौदेबाजी ने मेरी सारी जादूगरी छीन ली

बचपन में खुदा ने नवाजा था जिस तोहफे से मुझको
नज़राने ने उन अल्फाज़ो की सारी बाजीगरी छीन ली

अजीब खेल खेला इस शोहरत की भूख ने हमारे साथ
मुझे ख्वाब दिखाकर मंजिलो के मेरी रहबरी छीन ली


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