हिमाकत कौन करेगा
नफरत तो मैं कर लूं, पर सोचता हूँ तुमसे मोहब्बत कौन करेगा
शमा से पवराने को जलाने की फिर वही हिमाकत कौन करेगा
देखो तुम मत जाना कभी भी छोड़ कर हमारे इस शहर को
जो तुम ही चली गयी तो फिर मोहब्बत में तिजारत कौन करेगा
बहुत हिफाज़त से रखना ग़ज़ल को अपने पन्नो में सहेज कर
इनकी राग ही नही हो तो रागिनी बनाने की तहारत कौन करेगा
बहुत ही जरूरी है आपका हमारे साथ यूँ बेवफाई करते रहना
अगर आपने ये छोड़ी तो दिल जलाने की इनायत कौन करेगा
बेहद ही जरूरी है पागल परवानो का इस दुनिया मे भी रहना
जो ये परवाने ही ना रहे तो फिर शमा की इबादत कौन करेगा
ये हो बेटियो की किलकारियां है इनको हिफाज़त से रखना
यही नही रही तो फिर बाप को गुदगुदा के शरारत कौन करेगा
जो लोग मुझपे इल्ज़ाम लगा रहे है अपने कत्ल की साजिश का
उनसे पूछो कि गर मैंने ठाना तो उनकी हिफाज़त कौन करेगा
बागियों के काफिलों को कभी कम मत होना देना तुम, क्योकि
इनके सिवा सुल्तान से आंख मिलाने की हिमाकत कौन करेगा
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