वो बुद्धू
थोड़ी सी पागली है, और थोड़ी सी नादान है
माना की वो लड़की बुद्धू है पर मेरी जान है
ये सच है उसकी बातों का कोई सिरपैर नही
फिर भी उनको सूनने को तरसते ये कान है
हमारा ये दिल तो उसी के पास छुपा हुआ है
जिसका बगल में मोहल्ले में दूसरा मकान है
कितना भी जताऊ,कुछ समझती ही नही है
वो नासमझ है मेरी मोहब्बत से अंजान है
उसकी सारी हरकते बड़ी उटपटांग लगती है
पर उसी वजह से उसके मोहल्ले की शान है
उसकी मौजूदगी शहरा भी गुलज़ार रखती है
वो न हो तो ये बाग बगीचे भी लगते वीरान है
दिल की बात जब भी करो तो बस हँसती है
मेरा इश्क़ नही समझती वो पगली नादान है
ज़ाहिद भी तरसते है उससे नज़रे मिलाने को
हम उनके दोस्तों में है, ये उनका एहसान है
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