तेरा कंगना
जिसकी आवाज सुनकर चाँद आसमां में चमकता है
दिल को सूकून आता है जब तेरा कंगना खनकता है
सब कुछ भूल जाता हूँ, कोई होश नही रहता मुझको
दिल बेकाबू होता है जब तेरे सर से दुपट्टा सरकता है
तुमसे जब भी मिलता हूँ जाने क्या हाल होता है मेरा
लब तो चुप रहते है, पर दिल बड़े जोर से धड़कता है
तेरी सांसो की खुशबू मुझको मदहोश कर जाती है
और तेरे बदन का रोम रोम कलियों सा महकता है
जब तक तुझसे दूर रहूँ, बस तेरा ही ख्याल रहता है
जब रुबरु आऊँ कमबख्त मन कही और बहकता है
कुछ ना कुछ बात तो जरूर है उसकी मुस्कुराहट में
जो चेहरे की लाली पे बादल भी बेमौसम बरसता है
जिस रात भी जुल्फे बिखराये तुम छत पर आती हो
तुम्हे देखने भर को ये चाँद पूरे शबाब पे चमकता है
Comments
Post a Comment