वहीं मिलना

चंदा और  चकोरी की जहाँ मुलाकात होती थी
वही मिलना जहां अक्सर हमारी बात होती थी

मेरा सारा दिन तुम्हारी बातो में गुजर जाता था
वही आना जहां अक्सर मेरी दिन रात होती थी

कैसे तुम डर कर मेरी आगोश में छुप जाती थी
जब भी कड़कती बिजली संग बरसात होती थी

जब भी मिलती थी तुम मुझे बॉहों में भरती थी
मेरे पहलू में इनायतो की कोई बारात होती थी

खाब हो या हकीकत सब तो एक  से लगते थे 
चाँद भी जलता था, जब तू मेरे  साथ होती थी

मौसम सुनहरा  और सब  नजारे बड़े सुहाने थे
तेरे ही नाम से हर किस्से की शुरुआत होती थी








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