जुल्फो की छांव
मैं आंखों से पी रहा हूँ जाम की जरूरत ही क्या है
जुल्फों की छांव में हूँ, शाम की जरूरत ही क्या है
ये उठती ,झुकती है मुझको पागल बनाने के लिए
एक तेरी नज़रे ही काफी है सुरूर चढ़ाने के लिए
फिर मैखानो में इंतेज़ाम की जरूरत ही क्या है
मैं आंखों से पी रहा हूँ जाम की जरूरत ही क्या है
एक तेरा चेहरा ही काफी है हमको बन्दगी के लिए
तुमसे इश्क़ करना काफी है, मेरी जिंदगी के लिए
अब मुझे किसी और काम की जरूरत ही क्या है
मैं आंखों से पी रहा हूँ जाम की जरूरत ही क्या है
तेरी ये अदा ही काफी है,मुझको लुट जाने के लिए
तुम्हारी हँसी ही काफी है, खुद बिक जाने के लिए
अब इसके लिए किसी दाम की जरूरत ही क्या है
मैं आंखों से पी रहा हूँ जाम की जरूरत ही क्या है
तुम मेरी हो जाओ ये दिल मे मेरे है ख्वाहिश खिली
जिसे तुम्हारे आशिक के नाम की नवाजिश मिली
उसके लिए अब किसी नाम की जरूरत ही क्या है
मैं आंखों से पी रहा हूँ जाम की जरूरत ही क्या है
जबसे से तुझको देखा है मेरे दिल ने ये ठान लिया
सिर्फ़ तुझको ही हमने अपना सब कुछ मान लिया
अब किसी मोहम्मद या राम की जरूरत ही क्या है
मैं आंखों से पी रहा हूँ जाम की जरूरत ही क्या है
इस भवरें की जान तो अब फूलों और काँटों में है
मेरे मालिक मेरे जिंदगी की डोर तुम्हारे हांथो में है
काटने के लिए तुझे पयाम की जरूरत ही क्या है
मैं आंखों से पी रहा हूँ जाम की जरूरत ही क्या है
तुम्हारे ना होने से ये फ़िज़ा और हमे रुकी हुयी है
तेरे खैरमक्दम में ये पलके पहले ही झुकी हुयी है
अब तेरे सजदे में सलाम की जरूरत ही क्या है
मैं आंखों से पी रहा हूँ जाम की जरूरत ही क्या है
अब राहत मिली है जख्मी दिल के सारे चोंटो को
खुद तुमने अपने लबो से चूमा है मेरे इन होंठों को
जन्नत के लिए अब इम्तेहान की जरूरत ही क्या है
मैं आंखों से पी रहा हूँ जाम की जरूरत ही क्या है
मोहब्बत में आ पहुँचा हूँ मैं आखिर उस मुकां पर
बस तेरी बाते और तेरा नाम रहता है मेरी जुबां पर
अब मेरे लिए किसी कलाम की जरूरत ही क्या है
मैं आंखों से पी रहा हूँ जाम की जरूरत ही क्या है
चुपके से चोरी से देख कर मुझको बड़ा सताती है
जब भी झाँकू इनमे मैं, ये मुझको पास बुलाती है
दिल के सिवा किसी इनाम की जरूरत ही क्या है
मैं आंखों से पी रहा हूँ जाम की जरूरत ही क्या है
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