तेरा साथ ना हो फिर भी मुझको चलना आता है
तेरा साथ ना हो फिर भी मुझको चलना आता है
यूँ तो परवाना नही हूँ मैं फिर भी जलना आता है
रकीब, हमसफर, संगदिल,जो चाहे तुम बना लो
मैं तो हवा हूँ,हर साँचे में मुझको ढलना आता है
ये ईंटो की क्या बिसात जो रोके, बहता पानी हूँ
पत्थर भी काट कर मुझको निकलना आता है
किसी मौसम किसी बारिस का मोहताज नही
मैं वो फूल हूँ जिसे पतझड़ में खिलना आता है
मेरी आरामदेही की परवाह तुम तो ना ही करना
मैं वो फूल हूँ जिसे, कांटो में भी पलना आता है
धूप, छाँव, बंजर वीराना जो चाहे आ जाये यहाँ
रास्ते कैसे भी हो मुझको उनपर चलना आता है
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