मोहब्बत अब नही करना

कहा हमने तो है तुमसे, की मोहब्बत अब नही करना
किया अब तलक जो मैंने वो इबादत अब नही करना

सुनो जो यादो में आना है तो बेशक आ भी जाना तुम
पर मेरा दिल जलाने की , वो शरारत अब नही करना

तेरे कहने मेरे सुनने के  दिन तो वापस आ भी जाएंगे
पर ये सुनने सुनाने की, वो फ़ज़ीहत अब नही करना

मुझे कहना है ये तुमसे की पुराने दिन फिर नही लाने
सब करना मुझको पर वो हिमाकत अब नही करना

कहूँ सच या झूठ भी तुमसे तो तुम्हे वो मानना होगा
जिससे  दिल चुराते थे वो इज़ाज़त अब नहीं करना

बहुत बिखरा बहुत टूटा तब  सबब ये हमने है सीखा
इश्क की खातिर दुनिया से बगावत अब नही करना 

ये है आग का वो दरिया जिसमे पानी भी जल जाए
है एक  खेल बिच्छू का,ये सियासत अब नही करना










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