उसकी नामंजूरी
हाँथो में मेहंदी होगी उसके,मांग भी उसकी सिंदूरी होगी
बैठी होगी जोड़े में, पर उसमे भी उसकी नामंजूरी होगी
उसपे भी हया के पहरे होंगे दहलीजो की सरहदें होंगी
कैसे कह दूं बेवफा उसको,उसकी भी तो मजबूरी होगी
बचपन से अब तक के अपनो को मेरे लिए कैसे छोड़ेगी
पैदायशी रिश्तों को दो दिन के प्यार के लिए कैसे तोड़ेगी
घर की चौखट उसके लिए इश्क़ से ज्यादा जरूरी होगी
कैसे कह दूं बेवफा उसको,उसकी भी तो मजबूरी होगी
बस यही सोच कर वो लडक़ी भी दिन रात रोती होगी
प्यार मोहब्बत की कसमे अक्सर रिश्तों से छोटी होती है
रिश्तों की खातिर ही उसने मोहब्बत से की दूरी होगी
कैसे कह दूं बेवफा उसको,उसकी भी तो मजबूरी होगी
जो मैं गम में डूबा हूँ वो भी तो इस बिरह में नहाती होगी
सिर्फ मेरी आँखें नही रोती वो भी तो अश्क बहाती होगी
मेरा प्यार अधूरा है तो उसकी भी मोहब्बत अधूरी होगी
कैसे कह दूं बेवफा उसको,उसकी भी तो मजबूरी होगी
जिस लड़की ने हर वक़्त सब एहसासों को बस जोड़ा है
कैसे इल्ज़ाम लगाऊ मैं उसपर की उसने रिश्ता तोड़ा है
मैं गुनहगार नही बिछड़ने का तो वो भी बे कसूरी होगी
कैसे कह दूं बेवफा उसको,उसकी भी तो मजबूरी होगी
अधूरे हैं वो सारे वादे और कसमे जो किया तुमने हमसे
मोहब्बत मेरी ये जो अधूरी रह गयी इस जनम में तुमसे
दुआ है खुदा से ख्वाहिश ये अगले जनम में पूरी होगी
कैसे कह दूं बेवफा उसको,उसकी भी तो मजबूरी होगी
मुहाफिज़ो का उसने कुछ इस तरह कर्ज चुकाया होगा
छोड़कर अपना प्यार बेटी होने का फर्ज निभाया होगा
जिन रिश्तों ने संभाला, मोहब्बत उसकी मजदूरी होगी
कैसे कह दूं बेवफा उसको,उसकी भी तो मजबूरी होगी
जो मेरा हाल हुआ है, कुछ वैसा ही हाल उसका होगा
मेरी मोहब्बत कमाल थी,इश्क़ बेमिशाल उसका होगा
मेरे दिल मे गर दर्द है, तो उसकी आंखें भी रंजूरी होगी
कैसे कह दूं बेवफा उसको,उसकी भी तो मजबूरी होगी
एक मेरी मजबूरी थी, जो मैं किसी का भी ना हो पाया
एक उसकी मजबूरी है जो उसने हाँथो में मेहंदी रचाया
मेरा दिल जल रहा है,धड़कन उसकी भी काफूरी होगी
कैसे कह दूं बेवफा उसको,उसकी भी तो मजबूरी होगी
Comments
Post a Comment