कैसी ये प्यास है
कैसी तलब है मुझे ये जो बुझती नही है मेरी प्यास
बरसात का मौसम भी कर जाता है मुझको उदास
बेताब है मेरा दिल, और सांसे भी थमने लगी मेरी
रख दे तू दिल पे हाथ, कि चलती रहे ये मेरी साँस
क्यो खोजती हो मुझको, इधर उधर इन गलियों में
दिल से बुलाओ मुझे मिलूंगा मैं आपके आस पास
जैसा सबको समझा है वैसा इसे ना समझना आम
तुम्हारे मेरे दिल का रिश्ता है कुछ ज्यादा ही खास
कुछ बदले बदले लग रहे है आप कोई तो बात है
क्यो दिल मे तो कड़वाहट है और लबो पर मिठास
ये दर्द जुदाई के क्यो हमको ही मिलते है बार बार
बस मेरे दिल मे हर वक़्त चुभती है यही एक ठास
कोई पागल बना तो कोई जोगी बन जोग रमाता है
ये इश्क़ के मौसम है बस कुछ को ही आते है रास
कितने सावन बीत गए है, तेरे इंतेज़ार की आग में
फिर भी तेरे आने की दिल मे अब भी है एक आस
अब आओगी की कब आओगी तुम मेरी कुटिया में
जिंदगी गुजर रही मेरी, बस यही लगाते हुए कयास
मोहब्बत में हर किसी को ये गम नही मिला करते है
जो इश्क़ में टूट गए वो दिल होते है बहुत ही खास
Comments
Post a Comment