चाँद को पाने की जुर्रत नही है

ये सच ही है कि हमको तुमसे मोहब्बत नही है
जमीं पर हूँ,मेरी चाँद को पाने की जुर्रत नही है

खुद को फना करने का जब्बा हम भी रखते है
पर मेरी जिम्मेदारियों की मुझे इजाजत नही है

हो सकती है मशहूर मेरी भी  लिखी हुई ग़ज़लें 
पर मेरे पास आप जैसी खरीदी शोहरत नही है

दिन रात यही सोचता हूँ कि कैसे भुलाऊँ तुम्हे
आखिर कैसे कहँ दू की तुमसे मोहब्बत नही है

इश्क़ में रांझे सा बनने की काबिलियत नही है
तुमपे सब कुछ लुटाने की मेरी हैसियत नही है

ये बात अलग है कि मेरे दिल मे बस तुम्ही हो
पर मेरी गरीबी में ये सोचने की हिम्मत नहीं है

दीवानो सा मोहब्बत तो मैं भी कर सकता हूँ
पर इज़हारे मोहब्बत करने की ताकत नही है

अब बन्द भी करदो ये अपने पैंतरे आजमाना
ये मेरा घर है,तेरे आंगन की सियासत नही है

ग़ज़ल लिखी जाती है लहू की स्याही बनाके
पर तुम कहते हो की इसमे मशक्कत नही है

मैं खामोश हूँ कि आप बदनाम ना हो जाओ
ये मत समझना कि, तुमसे शिकायत नही है

इसमे भी नफा नुकसान देखना तुम छोड़ दो
ये मोहब्बत है कोई बाजारू तिजारत नही है

तेरे दिल तोड़ने पे लाखो से जुड़वा सकते थे
पर सभी से दिल्लगी  की हमे आदत नही है

दिल दिया है तो मुस्कुराके रख भी लेना तुम
वरना हम भी कहेंगे कि, हमे उल्फत नही है

जो साथ था वो साथ नही, हांथो में हाथ नही
ये सब माया है यहाँ कुछ भी हकीकत नही है

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