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ठिकाना नहीं मिलता

पहली मोहब्बत अब तक

रोशनी में भी कदम संभाल कर रखना होगा

राम बन गए हो तुम

नज़्म — "तुम्हारे होने की ख्वाहिश"

एक ख़ुशबू,

सैय्यारा मिला है

धड़कने बेहिसाब में है

क्या करे कोई

तुम कोई जुबान दो ना

ग़ज़ल लिख डाले

गजल का पन्ना बना रखा है

पर दिल ने कुछ सुना है।

उसको, उसके जैसा लिखने का हुनर पाऊं कैसे

हवा आज तुम उसकी खुशबू लिए बह रही हो क्या

तेरी यादों के गहने

मोहब्बत का भरम रख लेना

मेरी औकात क्या है

कोई कहानी लिख दे

इबादत नही करना।

ऐतबार

तेरी कुरवत

फूलों की शाल

फकीर को जगाने आये थे

सूरज भी ढल नही पाता

संगेमरमर का ताक देखना

अधूरे ख्वाबो को जार जार करना

क़ज़ा के आगोश में खिला हुआ कमल देखा था