हराम के रखा है

मयकदे  में  साकियों ने पीना  हराम कर रखा है
तेरे ख्वाबों ने  अब मेरा  सोना हराम कर रखा है

ये डिंपल, बिंदिया,ये लाली तो बात ही क्या कहें
मेरा  तो तेरी  आंखों  ने जीना हराम कर रखा है

आब वो  फिजा  ने ये चर्चा सरेआम कर रखा है
मुझे तो  बस तेरी  नजर  ने बदनाम कर रखा है

ये चाकू, खंजर, भालो की जरूरत उसको नहीं
उसने तो आंखों से कत्ल  ए  आम  कर रखा है

यूं  हर महफ़िल में तेरे हुस्न का नाम कर रखा है
मेरे दिल ने तेरा सजदा बे-इक़्तिदाम कर रखा है

न जाने क्यूं तेरी यादें अब हर रात चली आती हैं
नींद को भी तेरी ख़्वाहिश ने गुलाम कर रखा है

किसी और को देखने का अब दिल करता नहीं
तेरी सूरत ने नज़रों पे ऐसा एह्तिराम कर रखा है

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