मंजर छुपा रखा है

रुख पे आफताब,और आंखों में नूर ए मंजर छुपा रखा है
कई चांद तारे उसने अपनी जुल्फों के अदंर छुपा रखा है

दुनिया वालों की दुनियादारी से हैरान परेशान वो लड़की
जिसने खुद में मासूमियत का एक समुंदर छुपा रखा है

नजरें मिलते ही उससे ठहर जाती है घड़ी की सूइयां
इन आंखों के लम्हे में उसने सदी का सफर छुपा रखा है

बड़े कीमती है उसकी आंखों से गिरते आंसू इलाही
हर एक बूंद में उसने जज्बातों का समुंदर छुपा रखा है

मेरे ख्यालों में आती है अक्सर वो एक रोशनी बनकर
चांद की चांदनी में उसने मेरा मुकद्दर छुपा रखा है

यूं आते जाते अक्सर गुमशुम सी रहती है वो लड़की
बारहाँ इन आंखों में उसने डुबाने का हुनर छुपा रखा है

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