फूलों की शाल

तारे  तोड़  लाऊ मैं  आसमान के गांव से
तेरी नथ में सजाऊ उसे फ़ूलों के शाल से

जो तू  चाहे  कोई सर  पर कोई ओढ़नी
घूंघट बना दू मैं  तेरा कलियों के छाव से

समुंदर भी साहिल  पा ही  जाये इलाही
जो इश्क़ करले तेरी  आंखों की नाव से

जो तू  चाहे  कोई सर  पर कोई ओढ़नी
घूंघट बना दू मैं  तेरा कलियों के छाव से

ये चमनज़ार ये बगवां फिर से खिल जाए
जो छू ले तू बस एक दफा अपने पांव से

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