चांद तारों को याद रखा जाएगा
आसमां के मेरे सारे गवाहों को आबाद रखा जाएगा
मुकद्दमा ए इश्क में चांद तारों को याद रखा जाएगा
ये जो दिल तेरे साथ कभी बर्बाद रहा था इलाही
उसको अब तेरे जाने बाद भी बर्बाद रखा जायेगा
संभालेंगे हम खुद को इन जलती बलती गलियों में
पर खाक ए इश्क का हर गुल बेमुराद रखा जायेगा
वो दिल्लगी, वो इबादत, वो अकीदत, वो मोहब्बत
अजल से अमल तक इनको नासाद रखा जायेगा
किताबे इंतहा के हर सफ़्हे को याद रखा जाएगा।
पर दिल में हर वक्त फरियादे नौशाद रखा जायेगा
रफ़ाक़त ए यार ने अता की थी जितनी भी रंजिशे
उसे अब ताज-ए-वफ़ा कहकर शाद रखा जाएगा।
बावरे के कलम से बयाँ होगी मसौदा-ए-अजीयत,
वहाँ हर ज़ख़्म तेरा नाम लेकर याद रखा जाएगा।

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