खुशबू आ जाए

अजल में भी जानी पहचानी सी खुशबू आ जाए
बहार ए चमन लिए गुलों में रंग ओ बू आ जाए

फिर दवा की जरूरत ही किसे होगी इलाही
जो मरीज का हाल पूछने एक दफा तू आ जाए

ताब ए हिज़्र में भी तरावट कुछ यूं आ जाए
अब जो तू आ जाए तो हमको सकूं आ जाए

मैं उसको लिखूं और वो मेरे रूबरू आ जाए
इलाही बावरे को बस इतना सा जादू आ जाए

जो हो तो बस इतनी क़ुर्बत करना मेरे इलाही
शाम ढले , तलब ए जाम की आरज़ू आ जाए।





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