ऐतबार
कतरा कतरा मेरा तुझपर निसार होता
तेरी वफाओ का गर हमे आसार होता
दिल खुशी से रुक नही जाता इलाही
जो तेरे किये वादे पे हमे ऐतबार होता
जो झूठी तिजोरी में सच न तौला होता
तो तेरा किया वादा यूं न बेकार होता।
हर ग़म भी तब मुस्कुरा के गुज़ार लेते
अगर तेरा हर लफ़्ज़ वफ़ादार होता।
चमन में बहारों की रौनक़ न मिटती,
अगर इश्क़ तेरा भी असरदार होता।
जो तेरी मोहब्बत भी सच्ची निकलती
तो आखिरी सांस तक तेरा इंतेज़ार होता।
मगर तूने हर बार तोड़ी क़सम यूँ ही,
वरना तेरा वादा भी दिलदार होता।
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