सूरज भी ढल नही पाता
कैद ए ताक़ में जाने वाला फिर निकल नही पाता
बिना तेरी नज़रे झुके ये सूरज भी ढल नही पाता
मैखाने से पीके तो मैं फिर भी संभल जाऊँ इलाही
तेरी आँखों से पीने वाले ताउम्र सम्भल नही पाता
शमा ए इश्क़ इस हुजरे में अब तो जला दे बावरें
इनकी आस में मेरे घर का चराग जल नही पाता
तेरे होंठो पर हँसी की सलामती बेहद जरूरी है
सफर ए जिंदगी में बिना इसके मैं चल नही पाता
बस एक अदद ताक़ ए तरावट की मेहर कर दे
बिना तेरी नज़र ये बाग का फूल खिल नही पाता
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