कोई कहानी लिख दे
टूटे फुटे लफ्ज़ो से मुक्कम्मल कोई कहानी लिख दे,
मुझको राजा लिख ना लिख,खुद को रानी लिख दे,
सहराओ की खिलाफत करता आया उम्र भर मै
मेरे मुर्शिद, अब तो तू मेरे नसीब मे पानी लिख दे
बदले हुए दौर मे अब कुछ नया तो मुमकिम नही
अश्कों की स्याही से तू बात वही पुरानी लिख दे।
जो मुमकिन हो तो अपनी यादें रहने देना इसमे
वरना इस दिल मे तू वीरानी ही वीरानी लिख दे।
एक बार मुस्कुरा कर वापस मेरी जवानी लिख दे
किसी अफसाने मे तू खुद को भी दीवानी लिख दे
क़िस्मत के पन्नों पे थोड़ी सी मेहरबानी लिख दे।
मौत से पहले ज़िंदगी की कोई निशानी लिख दे।
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