कोइ बात नहीं होती
पहलू में उसके बैठे रहो तो फिर कोई रात नहीं होती
जब उसकी बात हो तो और कोई बात नहीं होती
वो गुमशुम सी लड़की , जब हल्के हल्के मुस्कुराए
नूर ही नूर बिखरता है,और कोई बरसात नहीं होती
बस एक दफा जो वो नजरें झुका कर उठाए तो
फिर दिन ही दिन दिन रहता है कोई रात नहीं होती
वो गुमशुम सी लड़की , जब हल्के हल्के मुस्कुराए
नूर ही नूर बिखरता है,और कोई बरसात नहीं होती
खुशी और गम को समेटे उसकी वो गहरी आंखे
नजर ए करम की जहां में ऐसी सौगात नहीं होती
जब वो खामोशी से गुजरे करीब होकर हमारे
मिलती तो है मुझसे, पर कभी वो मुलाकात नहीं

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