सैय्यारा मिला है
जुगनुओं को जैसे नूर-ए-सहर का सहारा मिला है,
उनकी आँखों में डूबे तो माँझी को किनारा मिला है,
आज चांद की बेताबी का सबब न पूछ मेरे हमदम
अमावस की बेकस फिज़ा में इसे सैय्यारा मिला है,
एक अरसे बाद उसकी नजर का इशारा मिला है।
ख़्वाब ठिठके जहाँ, वहाँ नया एक सवेरा मिला है।
माथे पे बिंदी, होंठों पे लाली,सुर्ख लब,आंखे सवाली
बड़ी मुद्दतों के बाद आज जन्नतों का नजारा मिला है
ख़ुदा भी हैरान है जिसकी इस क़दर मोहब्बत से,
बावरे को तुझ जैसा कोई फ़रिश्ता दोबारा मिला है।
जुबां से जो चुभ गया, वो खता दिल से नहीं थी,
अब तेरे बिना ये शख्स दुनिया को हारा मिला है।

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