अधूरे ख्वाबो को जार जार करना

टूटी ख्वाहिशे  और अधूरे ख्वाबो  को जार जार करना
कोई उनको बताए कैसा है बेउम्मीदी में इंतेज़ार करना

कभी जिम्मीदरियाँ , कभी मजबूरियां आती रही आड़े
ये ताज़ सच बता, इतना मुश्किल है तेरा दीदार करना

तेरे वादों की  चादर से लिपटी  रही है तेरी मजबूरियां
हर तारीख सिखा जाती है तेरे इनकार से प्यार करना।

ख़त की स्याही में बह गई उम्र भर की सारी शिक़ायतें,
बड़ा मुश्किल हुआ उनसे ख्वाहिशो का इज़हार करना।

बस एक  आदत ही  नही हो तेरे  पाई झूठो वादों की
वरना किसे  पसंद है हर रोज़  खुद को बीमार करना। 

ख्वाहिश ए दीदार लिए ताज से कुछ तो सीख बावरें
यहा हर जर्रा सिखाता है सदियों तक इंतज़ार करना।

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