ख्वाब आयेगा
शहर ए दरख़्त को महकाने वो गुलाब आएगा
हक़ीक़त के दौर में बनके वो एक ख्वाब आएगा
ये जुगनुओं जरूरत नही मुझे तुम्हारी रोशनी की
आज मेरी गली को रोशन करने मेरा चाँद आएगा
आसमां के तारो से कहो वो आगोश में छुप जाए
मेरा महबूब इन सब के चले जाने के बाद आएगा
बस एक अक्स देख कर तू इतना बेचैन है बावरें
हश्र ए दिल सोच, जिस दिन वो बेनकाब आएगा

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