रोशनी में भी कदम संभाल कर रखना होगा
रोशनी में भी कदम संभाल कर रखना होगा
बेखौफ, बेशर्त एक एक लफ्ज़ लिखना होगा
गहरी आस्तीन वाले हाथो से दोस्ती हुई मेरी
अब न जाने कितने सांपों से मुझे बचना होगा
वो दिन गए जो हंसते चेहरे मासूम कहाते थे
अब हर मुस्कुराहट का सच परखना होगा
उधार के लफ्ज़ क्यों ओढ़ूं पहचान के लिए,
हर कहानी, हर किस्सा मुझे ही लिखना होगा
फ़रेब मिलता है रास्ते में अपनापन ओढ़े हुए
ये मीठी बातों का मतलब भी समझना होगा
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