वो लड़की
वो लड़की…
जो मासूमियत से अपनी खुदा से भी सच्ची बन जाती है
जो होंठ निकाल कर बिल्कुल नन्ही बच्ची बन जाती है।
उसकी आँखें—
कभी हँसती हैं, कभी पूछती है, तो कभी बोलती हैं,
वो चाहे कहे न कहे, उसके मन की बातें खोलती है
उसकी सीरत…
उसकी मोहब्बत मेरे लिए खुदा का कोई फलसफा है
मुझको ढूंढे दुनिया उसकी आंखों में, वही मेरा पता है
वो लड़की…
जो मेरे प्यार पर यक़ीन करती है, जो बस मेरी हो जाती है,
जो मुझमें खोती है, मेरी बाहों में सर रख कर सो जाती है
और उसकी वो बात—
जिसे कहीं भी छुओ उस पगली को गुदगुदी हो जाती है,
वो ताज सी तराशी लड़की, छुओ तो मरमरी हो जाती है
वो जब मिलती है...
बस मुझसे मिलने को ही वो लड़कियों सा संवरती है
जब मिलती है मेरी चुहिया, जाने क्या क्या कुतरती है
दुनिया जो बेचैन है उसकी बस एक झलक देखने को
मेरी लड्डू,मेरी एंजल, मेरी बाहों में आने को मचलती है

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