मोहब्बत का भरम रख लेना
दिल मे ना सही, तू भी चेहरे पे थोड़ा गम रख लेना
थोड़ी तो इस बंजारी मोहब्बत का भरम रख लेना
जो सामने आना कभी तो, बावफा ही दिखना हमे
भले बाद मे तुम आदतन दो चार हमदम रख लेना
अंजानो के शहर मे तू बस नज़र ए करम रख लेना
सरेआम हुए अफसाने का कुछ तो मरम रख लेना
मेरे बाद तूने ज़ार ज़ार किया है मेरी शख्शियत को
पर जो मिलना कभी तो आँखों मे शरम रख लेना
बेफिक्री मे तो आना,पर आंखे थोड़ी नम रख लेना
जो मांगा था मैने तुमसे,वो वादा ए करम रख लेना
मुलाक़ात पे अब,दिलो मे अपने रुसवाइयाँ ही होंगी
पर ये इल्ज़ामो सवालों का दौर थोड़ा कम रख लेना
Comments
Post a Comment