तो फिर हारना बेहतर
बात जो कुछ दिल में हो, निकालना बेहतर
तड़प तड़प के जिंदा रखने से मारना बेहतर
जो दुश्मन होते जंग में तो मैं लड़ता इलाही
अब अपने सामने है ,तो फिर हारना बेहतर
उधार के अल्फ़ाज़ लेकर दीवान बनाने से
टूटे फूटे लफ्जो में गजल संवारना बेहतर
दवाओं की फितरत से वाकिफ हुए तो जाना
की जहर खा के दूजा जहर उतारना बेहतर
झूठों की मीठी बोली सुन सुन के जाना है
जुबां जले तो जले,सच बया करना बेहतर

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