संगेमरमर का ताक देखना
ये दर वो दीवार,ये नक्काश,ये चमन ये मेहताब देखना
एक याद से भरा हुआ संगेमरमर का ताक देखना
ये उल्फत के वादे, उफ्फ रेत में बनते सफ़ाक़ देखना
बावरें कहाँ है तेरे नसीब मे उनके साथ ताज देखना
वो रंग, वो रोशन दरीचे, वो खुशबू की बात देखना,
हाथो में लेकर हाथ उनके साथ चांदनी रात देखना।
इन दो आंखों से देखने पर तलब नही जाएगी बावरें
संगमरमर की खूबसूरती तू अपने नूर के साथ देखना
सिर्फ दो चार गिनती में नही समायेगा उनका अक्स
तू जब भी देखना तो उनको बेहिसाब देखना
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