तुमसे रिश्ता बड़ा पुराना लगता है
अब ये सारा लम्हा बस एक अफसाना लगता है
है तो नया पर तुमसे रिश्ता बड़ा पुराना लगता है
वैसे बारिस पसन्द नही,पर जब से तुम मिली हो
सावन का मौसम भी मुझे बड़ा सुहाना लगता है
जब तुम आती हो छत पे ये भी निकल आता है
आसमाँ का चाँद तुम्हारा कोई दीवाना लगता है
ऐसा खोया हूँ मैं अब तुम्हारी यादों की धुंध में
की तुम मेरी और सारा जहाँ बेगाना लगता है
तेरी आँखों की भूलभुलैया मे ऐसा खोया हूँ
की ये लम्हा हंसीं ये मौसम इश्काना लगता है
ये अब चाँद अक्सर खोया खोया सा लगता है
ये भी तुम्हारी आँखों मे डूबा मस्ताना लगता है
जी चाहता है इसको पीकर मैं नशे में हूँ जाऊं
होठ तुम्हारा जाम से लबालब पैमाना लगता है
परियों सा चेहरा और कलियों सी मुस्कुराहट
मुझे तुम्हारा हर अंदाज बस शहाना लगता है
जी चाहता है हमेशा इसके पहलू में बैठा रहूँ
हुस्न तुम्हारा रिन्दों का एक मैखाना लगता है
जब जी मे आता है तुम्हारा दीदार कर लेता है
बदलो में छुपा ये चाँद बड़ा सयाना लगता है
आपका ये हर अंग मरमरी सा तराशा हुआ है
तुम्हारा संतरास बड़ा ही जानामाना लगता है
Comments
Post a Comment